इतिहास

स्थापना (1977-78)

भारतीय नौसेना,1960 से ही भारतीय जलीय क्षेत्र में समुद्री कानून को लागू करने तथा उपक्रमों की सुरक्षा एवं संरक्षा का दायित्व निर्वहन करने हेतु एक सहायक संगठन की स्थापना का अनुरोध करती आ रही थी । इन कामों के लिए आधुनिक एवं उच्च क्षमता वाले नौसेना के यु्द्धपोतों एवं उपक्रमों की तैनाती स्पष्ट रूप से किफायती विकल्प नहीं था । भारत सरकार ने यथासमय नौसेना के इस तर्क को स्वीकार कर लिया । 1970 के प्रारंभ में तटरक्षक संगठन की शीघ्र स्थापना में अपना योगदान देने वाले तीन और कारक थे ।
 

राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था को क्षति पहुंचाने वाली समुद्रीय तस्करी अपने चरम पर थी । तत्समय सीमा शुल्कं एवं मात्स्यिकी विभाग जैसी एजेंसियों के पास इतनी सामर्थ्य नहीं थी कि वह वृहद् रूप से फैली तस्करी तथा भारतीय जल में अवैध रूप से प्रवेश करने वाली नौकाओं की गतिविधियों को रोक सकें । इस पृष्ठभूमि में तस्करी के बढ़ती हुई इस समस्या से निपटने के लिए सन् 1970 में नाग कमेटी की स्थापना की गई । समिति ने अपनी सिफारिश में तश्करी की गतिविधियों से निजात पाने के लिए एक अलग से समुद्री बल की आवश्यकता पर जोर दिया ।

भारतीय तटरक्षक की अंतरिम स्थापना- 01 फरवरी 1977

बैठने की व्यवस्था में (बाएं से दाएं)

लेफ्टीनेंट कमांडर-दत्त, कमांडर सारथी,

वाइस एडमिरल वी ए कामथ

कमोडोर भनोट एवं मिस्टर वर्दन

खड़े में (बाएं से दाएं) मि. संधु, मि. जैन, मि. पिल्लै,

मि. मल्होत्रा एवं मि. शास्त्री


1972 में समुद्री कानून पर अंतर्राष्ट्रीय समझौते के अनुसार सभी तटीय देशों को अनन्य आर्थिक क्षेत्र प्रदान किया गया । तत्पश्चात् विस्तृत रूप से फैले हुए अनन्य आर्थिक क्षेत्र पर अपना सार्वभौमिक अधिकार का दावा करते हुए भारत की संघीय सरकार ने भारतीय समुद्री क्षेत्र अधिनियम 1976 का निर्माण किया । भारत ने एक बार में 2.01 मिलियन वर्ग किमी समुद्री क्षेत्र पर सभी जैविक व गैर-जैविक संसाधनों का व्यापक संदोहन करने के लिए अधिकार ग्रहण किया । इस विस्तृत क्षेत्र की सुरक्षा की आवश्यकता महसूस की गई ।

 

Back to Top

Ministry of Defence : यह लिंक इस वेबसाइट के बाहर एक वेबपेज पर ले जाएगा
अंतिम नवीनीकृत: 21/11/2024

आगंतुक काउंटर :

2359616