राष्ट्रपति द्वारा प्रदत्त ध्वज

प्राचीन काल से ही राजागण एवं जनरल अपनी बिखरी हुई सेना को अपनी स्थिति दर्शाने हेतु झंडा फहराते रहे हैं । भारत में इस झंडे को ध्वज के नाम से जाना जाता है । रोम में प्रचलित झंडा लंबे खंभे के शीर्ष पर हुक से जुड़ा हुआ होता है जिसे “स्टैंडर्ड” कहते हैं । युद्धकाल में ये प्रतीक का कार्य करता था । यदि ध्वज दिखाई न पड़े तो इसका तात्पर्य यह था कि वह पराजित हो गया है अथवा युद्ध क्षेत्र से भाग गया है । अतैव युद्धक्षेत्र में ध्वज एकजुटता का प्रतीक था जिसकी रक्षा हर हाल में करना होता था । शांतिकाल में ये शोभा यात्रा के दौरान सर्वोच्च कमांडर की उपस्थिति दर्शाता था ।

भारत के राष्ट्रपति, डॉ ए पी जे अब्दुल कलाम ने 01 दिसंबर 2002 को भारतीय तटरक्षक को राष्ट्र के प्रति की गई सेवाओं की एवज में ध्वज प्रदान किया ।

कीटों से खाये हुए पोल पर लगा हुआ जीर्ण-शीर्ण कपड़े का टुकड़ा मात्र, मानव मन एवं उसकी आत्मा को झकझोरने में समर्थ नहीं होगा जब तक कि पोल का स्थान जनशक्ति एवं कपड़े का टुकड़ा, झंडे का रुप न ले ले ।

- सर एडवर्ड बी. हेमले, 1824-1893

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अंतिम नवीनीकृत: 19/12/2024

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