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भारतीय तटरक्षक दुर्गम परिस्थितियों में समुद्र एवं आकाश दोनों में अपनी गतिविधियों का संचालन करती है । यह विभिन्न प्रकार की पोतों, नावों एवं वायुयानों का संचालन करती है । संक्रिया, मरम्मत एवं प्रशासन संबंधी समस्याओं का निदान केवल प्रशिक्षित जनशक्ति द्वारा ही किया जा सकता है । विभाग के सभी अफसरों एवं भर्ती कार्मिकों को उनके कार्य क्षेत्र में प्रशिक्षित किया जाता है ।
तटरक्षक में प्रारंभिक, मध्य एवं विशिष्टि प्रशिक्षण ज्यादातर नौसेना के विभिन्न प्रशिक्षण केंद्रों में दिया जाता है । प्रशिक्षण के पश्चात् प्रशिक्षित कर्मी तटरक्षक घोषणा-पत्र में उद्धृत कर्त्तव्यों के निर्वहन का उत्तरदायित्व ग्रहण करते हैं ।
भारतीय नौसेना अकादमी एझीमाला में अफसरों का प्रशिक्षण प्रारंभ होता है जहाँ 22 सप्ताह की अवधि तक नौसेना अभिविन्यास पाठ्यक्रम का आयोजन किया जाता है । यह प्रशिक्षण सभी अफसरों (सामान्य ड्यूटी (जी डी) पाइलट नेवीगेटर (पी/एन) अल्पकालिक नियुक्तियां (एस एस ए) एवं व्यवसायी पाइलट लाइसेंस से युक्त पुरुष एवं महिला तथा तकनीकी अफसर) के लिए एक समान है । भारतीय नौसेना अकादमी में एक वर्ष के अंदर दो बैचों के प्रशिक्षण का आयोजन किया जाता है ।
नौसेना अभिविन्यास पाठ्यक्रम के पूर्ण होने के पश्चात् सामान्य ड्यूटी अफसरों को 12 सप्ताह के लिए पोत प्रशिक्षण के लिए भेजा जाता है । इसके पश्चात् सीमैनशिप बोर्ड होता है तथा विभिन्न नौसेना प्रशिक्षण केंद्रों पर 47 सप्ताह के लिए तकनीकी कोर्स का प्रशिक्षण दिया जाता है । उसके पूर्ण होने के पश्चात् ये 24 सप्ताह के लिए बाचकिपिंग प्रमाण-पत्र का कोर्स करते हैं तत्पश्चात् पोत पर तैनाती होती है, पाइलट/नेवीगेटर अफसर उड़ान पूर्व प्रशिक्षण प्राप्त करते हैं तथा उड़ान प्रशिक्षण नौसेना, वायुसेना अथवा प्राइवेट फ्लाइंग क्लब से प्राप्त करते हैं ।
सी पी एल इंट्री अफसर (पुरुष एवं महिला) 03 सप्ताह का तकनीकी कोर्स करते हैं । उसके बाद फिक्स/रोटरी विंग पर कनवर्सन कोर्स करते हैं । महिला अफसर 23 सप्ताह का तकनीकी कोर्स करती हैं तथा विभिन्न तटरक्षक क्षेत्रीय मुख्यालयों/यूनिटों में काम पर प्रशिक्षण ग्रहण करती हैं । तकनीकी अफसरों (इंजीनियर्स) को उनके क्षेत्र में प्रशिक्षण तथा तकनीकी कोर्स प्रदान किया जाता है । वे बाचकीपिंग प्रमाण पत्र कोर्स पोत पर करते हैं ।
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अंतिम नवीनीकृत :
12/08/2016
अंतिम नवीनीकृत:
19/12/2024
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