टग इस्टीम से चिकित्सीय निकासी

19 जनवरी 17 को लगभग 1800 बजे निगरानी के दौरान तटरक्षक डोर्नियार वायुयान सीजी 778 एक्स तटरक्षक वायु एंक्लेव (कोलकाता) ने सूचित किया कि टग इस्टीम में दो रोगियों को त्वरित चिकित्सा सहायता की आवश्यकता है । एक रोगी को हृदय संबंधी रोग की समस्या थी तथा दूसरे की निर्जलीकरण की समस्या हो गई थी । सूचना प्राप्त होने पर भारतीय तटरक्षक पोत सी-418 को चिकित्सीय दल के साथ टग स्टीम में सवार रोगी की सहायता हेतु 1830 बजे हल्दिया से रवाना किया गया । सी-418 दरियापुर लाइटहाउस 20 से 182 की पोजीसन पर 2115 बजे पहुँची तथा दोनों रोगियों को जहाज पर चढ़ा लिया । रोगी को चिकित्सीय सहायता प्रदान की गई । सी-418, 19 जनवरी 17 को 2330 बजे हल्दिया पहुँची तथा आगे के उपचार के लिए रोगी को स्थानीय एजेंट को सौंप दिया गया ।

 

एम वी पनामाक्स-4 से चिकित्सीय निकासी

25 जनवरी 17 को लगभग 0745 बजे एमवी पनामाक्स से एमआरएससी, विशाखापत्तनम को सूचना प्राप्त हुई कि विशाखापत्तनम से पूर्व 16 नॉटिकल मील की दूरी पर एक कर्मी बीमार है । भारतीय तटरक्षक की पोत को, सहायता हेतु विशाखापत्तनम बंदरगाह की ओर रवाना कर दिया गया । 25 जनवरी 17 को 0925 बजे सीजी-821 ने उड़ान भरी तथा चिकित्सीय निकासी हेतु उसे पोत पर उतारा गया । रोगी को चढ़ाने के पश्चात् हेलीकाप्टर 25 जनवरी 17 को 1007 बजे विशाखापत्तनम पहुंचा । आगे के उपचार के लिए रोगी को स्थानीय एजेंट को सौंप दिया गया ।

    

 

एमटी अफ्रा हार्थोन से चिकित्सीय निकासी

25 फरवरी 17 को लगभग 0850 बजे एमटी अफ्रा हार्थोन द्वारा पेचिस से पीडित एक रोगी के निकासी के लिए सूचना प्राप्त हुई । पोत इंदिरा प्वाइंट कैंपवेल से दक्षिण 45 नॉटिकल मील की दूरी पर की स्थित थी । भारतीय तटरक्षक पोत सी-411 चिकित्सीय निकासी हेतु कैंपवेल के लिए रवाना हुई तथा 1240 बजे वाणिज्य पोत पर पहुँच गई । आगे के उपचार के लिए रोगी को पोत से निकाल कर 1510 बजे कैंपवेल वे लाया गया ।

 

एलओपी टिल्लन चांग से फारेस्ट गार्ड की चिकित्सीय निकासी

उच्च ज्वर से पीडित वनरक्षक को एलओपी टिल्लन चांग से चिकित्सीय सहायता हेतु तुरंत निकालने के लिए स्थानीय पुलिस ने 20 मार्च 17 को 1130 बजे तटरक्षक स्टेशन कामोरता को सूचित किया ।

 

एमटी सी ड्रैगन से चिकित्सीय निकासी

 

एमटी सी ड्रैगन सिंगापुर से फुजैरह की समुद्री यात्रा पर थी । सुरतकल प्रकाश स्तंभ 28 से 263 पोजीसन पर 16 मई 17 को 0412 बजे पोत ने चिकित्सीय आपातकाल की घोषणा की जिसके मुताबिक मि. हांग जैनग्यु, पुरुष, आयु 31 वर्ष, चीनी नागरिक के दाहिने अंगूठे में अस्थिभंग हो गया था । गश्त कर रही भा.त.पो. सावित्रीबाई फुले को सहायता के लिए रवाना किया गया । पोत सुरतकल 240 पोजीसन प्रकाश स्तम्भ 13 पर 0725 बजे पहुँची तथा घायल कर्मी को वहाँ से निकाला । तत्पश्चात् 0850 बजे पोत न्यु मंगलौर पहुँची और रोगी को आगे के उपचार के लिए स्थानीय प्रतिनिधि को सौंप दिया ।

 

एमटी बीडब्ल्यू पूमा से चिकित्सीय निकासी

22 मई 17 को 1415 बजे सिंगापुर की पोत एमटी बीडब्ल्यू पूमा से, पोत में सवार घायल रूसी अभियंता की त्वरित चिकित्सीय निकासी हेतु सूचना पहुँची । इंजन कक्ष में मरम्मत का कार्य करते हुए अभियंता के सीने में चोट लग गई थी। गश्तरत भारतीय तटरक्षक पोत समुद्र पहरेदार को रवाना किया गया । चिकित्सीय निकासी हेतु पोत, एमटी बीडब्ल्यू पूमा के पास पर लगभग 2300 बजे पहुँची । 23 मई 17 को भारतीय तटरक्षक पोत समुद्र पहरेदार, रोगी को लगभग 0200 बजे बाहर निकाल कर अपने पोत पर चढ़ाया तथा 23 मई 17 को 1600 बजे चेन्नई बंदरगाह पर पहुँची । उसके बाद आगे के उपचार हेतु रोगी को स्थानीय प्रतिनिधि को सौंप दिया गया ।

 

गोवा से दूर ‘एमवी लकी सेवेन’ से चिकित्सीय ​निकासी

समुद्री बचाव समन्वय केंद्र मुंबई को 15 जुलाई 17 को लगभग 2115 बजे एमवी लकी सेवेन के स्वामी से सूचना प्राप्त हुई कि पणजी से दूर स्थित पोत में मेडिकल इमरजेंसी हो गई है । खराब मौसम के कारण घायल कर्मी को बाहर निकालने के सभी प्रयास नाकाम साबित हुए । एक कर्मी के हाथ में गंभीर चोट लगने से काफी खून बह रहा था जबकि 3 कर्मी समुद्री बीमारी से ग्रस्त थे । पोत पणजी से दूर थी और ऐसा प्रतीत होता है कि खराब मौसम में प्रतिबंधित जलीय क्षेत्र से गुजरने के दौरान ये समस्या आ गई । सूचना प्राप्ति पर 16 जुलाई 17 को 0620 बजे तटरक्षक हेलीकॉप्टर ने उड़ान भरी तथा तटरक्षक हेलीकॉप्टर के विंचिंग प्रणाली द्वारा एमवी लकी सेवेन के 04 कर्मियों को बचाया गया । बचाये गये कर्मियों को गोवा मीरामर प्रायद्वीप बंदरगाह के डिप्टी कैप्टन को सुरक्षित सौंप दिया गया ।

 

एमटी बीजिंग 2008 से चिकित्सीय निकासी

16 सितंबर 17 को लगभग 2155 बजे गश्त कर रही भारतीय तटरक्षक पोत रानी अवंतीबाई को एमटी बीजिंग 2008 से संकटकालीन सूचना प्राप्त हुई कि एक फिलीपींस कर्मी गंभीर रूप से उपांत्र-शोथ (ओपनडिसाइटिस) नामक बीमारी से गंभीर रूप से पीडित है । हल्दिया से ब्राजील की यात्रा पर जा रही वाणिज्य पोत में वाइजाग से पूर्व 190 नॉटिकल मील की दूरी पर संकट उत्पन्न हो गया । सूचना प्राप्ति पर भारतीय तटरक्षक पोत ने तुरंत एमटी बीजिंग 2008 से संपर्क स्थापित किया तथा अधिकतम गति से चलकर अभिसार स्थल पर पहुँची । रोगी को 0530 बजे पोत पर चढ़ाकर लाया गया तथा आगे के उपचार के लिए विशाखापत्तनम स्थानीय प्रतिनिधि को सौंप दिया गया ।

 

 

चिकित्सीय निकासी अभियान

समुद्र में पोत पर खतरनाक स्थिति से गुजर रहे रोगियों के चिकित्सीय निकासी के दायित्व का भी भारतीय तटरक्षक निर्वहन करता है । किसी प्रकार की आपदा स्थिति में भारतीय तटरक्षक पोत एवं वायुयान, रोगियों को चिकित्सीय सहायता प्रदान करके बाहर निकालते हैं एवं अस्पताल में भर्ती करते हैं ।

हाल ही में की गई चिकित्सीय/आकस्मिक​ निकासी सं​क्रिया

एमटी डीए यंग ऑफ पोर्ट ब्लेयर से चिकित्सा निकासी


एमवी अल्ट्रा ट्रस्ट' के मास्टर की चिकित्सा निकासी


'एमवी क्वीन मैरी -2' ऑफ मोरमुगाओ से चिकित्सा निकासी


टग इस्टीम से चिकित्सीय निकासी


एम वी पनामाक्स-4 से चिकित्सीय निकासी


एमटी अफ्रा हार्थोन से चिकित्सीय निकासी


एलओपी टिल्लन चांग से फारेस्ट गार्ड की चिकित्सीय निकासी


एमटी सी ड्रैगन से चिकित्सीय निकासी


एमटी बीडब्ल्यू पूमा से चिकित्सीय निकासी


गोवा से दूर ‘एमवी लकी सेवेन’ से चिकित्सीय निकासी


एमवी 'न्यूजीलैंड अल्मेरे' से चिकित्सा निकासी


एमटी असावरी से चिकित्सा निकासी


एमवी यंडुआनजिनो-आई से चिकित्सा निकासी


मछली पकड़ने के नाव के मछुआरे को चिकित्सा सहायता पवित्रा ट्रिक्या


एसएलएफवी गीथ बाबा 03 में गंभीर रूप से घायल रोगी की सहायता


एमटी श्री विष्णु से चिकित्सा निकासी


एमटी हंसा प्रेम से चिकित्सा निकासी

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अंतिम नवीनीकृत: 02/12/2024

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