खोज एवं बचाव

भारत ने मई 2001 में खोज एवं बचाव विषय पर 1979 के अंतर्राष्ट्रीय संधि पर हस्ताक्षर किया । खोज एवं बचाव संधि के अनुसार भारत की जिम्मेदारी अधोलिखित है ।

  • क्रियान्वयन हेतु राष्ट्रीय कानून का निर्माण
  • आईएएमएसएआर मैनुअल I, II एवं III के अनुसार खोज एवं बचाव योजना का निर्माण
  • सक्षम जनशक्ति
  • प्रतिवेदन प्रणाली की स्थापना
  • प्रवर्तन प्रणाली
  • मूल्यांकन एवं समीक्षा

भारतीय तटरक्षक, भारतीय खोज एवं बचाव क्षेत्र (आईएसआरआर) में खोज एवं बचाव विषय पर समन्वय करने वाली एजेंसी है । महानिदेशक, भारतीय तटरक्षक, राष्ट्रीय समुद्री बचाव समन्वय प्राधिकारी के रूप में नियुक्त किये गये हैं । तथा ये राष्ट्रीय समुद्री खोज एवं बचाव बोर्ड के अध्यक्ष हैं।

महाराष्ट्र में गणेश उत्सव, ओडिशा के पुरी में रथ उत्सव तथा पश्चिम बंगाल के सागर द्वीप में गंगा सागर मेला इत्यादि के विभिन्न उत्सवों में खोज एवं बचाव हेतु भारतीय तटरक्षक पोतों एवं वायुयानों को नियोजित किया जाता है।

खोज एवं बचाव की छवि

तटरक्षक 2003 से ही इंडसार (भारतीय खोज एवं बचाव कंप्यूटरीकृत पोत प्रतिवेदन प्रणाली) पोत प्रतिवेदन प्रणाली का परिचालन कर रही है । यह स्वैच्छिक एवं मुफ्त प्रतिवेदन प्रणाली है, जो संकट काल में महत्वपूर्ण परिसंपत्तियों को हटाने में एमआरसीसी की सहायता करती है । तथा पोत के संपर्क में रहती है एवं आवश्यकता पड़ने पर सहायता प्रदान करती है । इंडसार में भागीदारी स्वैच्छिक एवं निःशुल्क है ।