समुद्री निगरानी
"गश्त"
समुद्री सुरक्षा से संबंधित किसी भी प्रकार की स्थिति के उत्पन्न होने पर समुचित प्रतिक्रिया को सुनिश्चित करने के लिए समुद्री क्षेत्र की निगरानी अत्यंत ही महत्वपूर्ण है । पहले से सचेत होकर तैयार होने के लिए सभी उपलब्ध संसाधनों के द्वारा निगरानी एक अनिवार्य शर्त है । वर्तमान समय में निर्दिष्ट क्षेत्र की निगरानी पोतों एवं वायुयानों द्वारा की जाती है । समुद्र में यूनिट की उपस्थिति गश्त पर पुलिसकर्मी सदृश, अपराधों की रोकथाम में तथा तश्करी, तेल विखराब व संकट में वाणिज्य व मत्स्य नौका से मछुआरों की चिकित्सीय निकासी जैसी स्थितियों के उत्पन्न होने पर तुरंत प्रतिक्रिया करने में अपनी भूमिका निभाती है ।

"अनन्य आर्थिक क्षेत्र की निगरानी"
प्रचुर प्राकृतिक एवं आर्थिक संसाधनों से परिपूर्ण 2 मिलियन वर्ग किमी के अनन्य आर्थिक क्षेत्र को भारत को सौंपा गया है जिसकी, भारतीय तटरक्षक पूरे वर्ष निगरानी करता है । अनन्य आर्थिक क्षेत्र में निगरानी के दौरान पोत एवं वायुयान अपतटीय ऑयल प्लेटफॉर्मों, वाणिज्य पोतों, मत्स्य नौकाओं के मध्य दुहरा संचार स्थापित करती हैं । तथा ये गश्त की भूमिका के साथ त्वरित सहायता प्रदान करती है ।

"एरियल निगरानी"
भारतीय तटरक्षक में एरियल निगरानी तट पर स्थित वायुयानों एवं हेलीकॉप्टरों द्वारा की जाती है । ये तटीय यूनिटें कम से कम अवधि में विस्तृत क्षेत्र की निगरानी करती है तथा समुद्र में किसी प्रकार की आपदा स्थिति में सर्वप्रथम प्रतिक्रिया करती है । पोतों के डेक से परिचालित हेलीकॉप्टर भी इर्द-गिर्द के क्षेत्र की निगरानी करते है । समुद्र में गैर कानूनी गतिविधियों को रोकने एवं अनुवीक्षण करने के लिए भारतीय तटरक्षक वायुयानों एवं हेलीकॉप्टरों में सेंसर एवं हथियार लगाये गये हैं । समुद्र में तेल बिखराव का पता लगाने के लिए भारतीय तटरक्षक के चुने हुए वायुयानों में प्रदूषण निगरानी गियर भी लगाये गये हैं । वृहद् तेल बिखराव की स्थिति में महत्वपूर्ण तटीय परिसंपत्तियों को बचाने के लिए वायुयान एवं हेलीकॉप्टर उस पर 'तेल बिखराव डिसपरसेन्ट' का अतिरिक्त छिड़काव करते है । भारतीय तटरक्षक के वायुयानों ने श्रीलंकासरकार के अनुरोध पर माले बंदरगाह पर प्रतिक्रिया सहित अनेको प्रदूषण प्रतिक्रिया अभियानों की अंजाम दिया है ।

"अनन्य आर्थिक क्षेत्र के आगे की निगरानी"
भारत सरकार एवं मालद्वीप के मध्य हुए निर्णय के अनुसार भारतीय तटरक्षक पोत एवं वायुयान मालद्वीप अनन्य आर्थिक क्षेत्र की निगरानी में सहायता प्रदान करते हैं ।

तटीय सुरक्षा
अपतटीय सुरक्षा प्रणाली को उच्चकोटि एवं सरल बनाने तथा अपतटीय संस्थानों पर शांति काल के दौरान आतंकवादएवं विध्वंश जैसी गतिविधियों के खतरों की पहचान करने हेतु अपतटीय सुरक्षा समन्वय समिति का गठन किया गया है । अपतटीय सुरक्षा के संबंध में विभिन्न एजेंसियों द्वारा कार्यान्वित होने वाली आपात योजनाओं का निवर्हन ओएससीसी करती है । महानिदेशक, भारतीय तटरक्षक, ओएससीसी के सभापति हैं । सन् 1978 में तत्कालीन महानिदेशक, वाइस एडमिरल वी.ए. कामथ, महानिदेशक, भारतीय तटरक्षक की अध्यक्षता में इसकी पहली बैठक का आयोजन किया गया । अपतटीय तेल एवं प्राकृतिक गैस के क्षेत्र में हुई वृद्धि, ऑयल प्लेटफॉर्म के समीप सुरक्षा को जोखिम में डालने वाली मत्स्य शिकार जैसी गतिविधियों के कारण सुरक्षा को मजबूत करने अथवा संभावित खतरों से संबंधित आसूचना के आंकड़ों को एकत्र करने में भारतीय तटरक्षक की जिम्मेदारी काफी बढ़ गई है ।

अपतटीय सुरक्षा
भारतीय तटरक्षक समुद्री खतरों का सामना करने के लिए विकसित एवं प्रभावी सुरक्षा प्रणाली प्रदान करती है । भारतीय तटरक्षक की देख-रेख में सुरक्षा ढ़ांचा कई गतिविधियों को अंजाम देती है तथा तटीय सुरक्षा, अपतटीय सुरक्षा, आतंक विरोधी, तस्कर विरोधी एवं बंदरगाहों की सुरक्षा प्रदान करने का उपाय करती है । भारतीय तटरक्षक, देश की समुद्री सुरक्षा को सुनिश्चित करने में भारतीय नौसेना की सहायता करती है । सन् 2008 में हुए मुंबई आक्रमण के पश्चात् सुरक्षा प्रणाली के तौर तरीके में परिवर्तन आया है उत्पन्न परिस्थतियों का प्रभावी ढंग से सामना करने के लिए निगरानी तथा विभिन्न पणधारियों के बीच आसूचना एकत्र करने एवं सूचनाओं के आदान-प्रदान पर काफी बल दिया गया है ।
बोर्डिंग संक्रिया
बोर्डिंग एक प्रकार की संक्रिया है, जिसके अंतर्गत आतंकवाद, अवैध हथियार, मानव तस्करी, अवैध शिकार, तस्करी के माल के परिवहन होने, स्वापक से संबंधित अवैध गतिविधियों को रोकने के लिए पोत अथवा नौका को रोका जाता है या अंदर प्रवेश करके जांच किया जाता है ।
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पृष्ठ अंतिम बार अद्यतन तिथि:22-08-2024 05:17 PM