तस्करी एवं स्वापक नियंत्रण
भूमिका
01 फरवरी 1977 को भारतीय नौसेना द्वारा स्थानांतरित दो युद्ध पोतों एवं पाँच गश्ती नौकाओं के साथ भारतीय तटरक्षक का आविर्भाव हुआ । संगठन के कर्त्तव्यों एवं भूमिकाओं को 18 अगस्त 1978 को संसद द्वारा पारित तटरक्षक अधिनियम में परिभाषित किया गया है । भारतीय तटरक्षक की प्रमुख भूमिका तस्कर विरोधी अभियानों में सीमा शुल्क विभाग की सहायता करना है । संगठन की सामर्थ्य में वृद्धि करने के लिए भारत सरकार ने राजस्व विभाग के अधीन समुद्री सीमा शुल्क संगठन को भारतीय तटरक्षक में विलय की मंजूरी प्रदान की ।
समुद्री सीमा शुल्क संगठन को 21 जनवरी 1982 को तटरक्षक की मुख्यधारा में संक्रिया निदेशालय के अधीन सम्मिलित कर दिया गया । 01 नवंबर 2004 से तस्कर विरोधी एवं स्वापक नियंत्रण निदेशालय स्वतंत्र रूप से कार्य करने लगा ।
घोषणा पत्र
घोषणा पत्र के अनुसार एएसएंडएनसी की भूमिका समुद्री मार्ग से तस्करी के माल को आने से रोकने में सीमा शुल्क विभाग की सहायता करना है । भारतीय तटरक्षक तस्करी जैसी बला से निजात पाने में उत्पन्न चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए केंद्र एवं राज्य की विधि प्रवर्तन/आसूचना एजेंसियों के साथ सघन समन्वय करती है ।
जब्त निषिद्ध वस्तुएं
भारतीय तटरक्षक ने अपने आविर्भाव से अब तक लगभग 1120.314 करोड़ रूपये कीमत की विभिन्न निषिद्ध वस्तुओं को जब्त किया है ।
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पृष्ठ अंतिम बार अद्यतन तिथि:19-08-2024 01:39 PM